भक्तवत्सल आशुतोष भगवान् शंकरकी प्रसन्नताके लिये साधक प्रतिदिन आधी रातको (ग्यारहसे दो बजेके बीच) ईशानकोण (उत्तर-पूर्व) की तरफ मुख करके ‘ॐ नमः शिवाय’ – इस शिवमन्त्रकी एक सौ बीस माला जप करे।
यदि गंगाजीका तट हो तो अपने चरण उनके बहते हुए जलमें डालकर जप करना अधिक उत्तम है। इस तरह छ: मास करनेसे भगवान् शंकर प्रसन्न हो जाते हैं और साधकको दर्शन, मुक्ति, ज्ञान दे देते हैं।