13 जुलाई से 31 जुलाई 2025: शनि अस्त से मंगल केतु परिवर्तन

13 जुलाई को शनि ग्रह अस्त (invisible) हो जाएंगे, 31 जुलाई तक मंगल का गोचर और केतु का नक्षत्र परिवर्तन भी होगा। इस महीने में शनि की वक्री चाल, मंगल का राशि परिवर्तन और केतु का नक्षत्र गोचर जैसे प्रमुख ग्रहीय बदलाव देखने को मिलेंगे। इन तीनों घटनाओं का संयोग कुछ गहरी अस्थिर ऊर्जा को जन्म देता है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता को भी बढ़ा सकते हैं।

जुलाई 2025 का महीना ग्रहीय परिवर्तनों के कारण कई क्षेत्रो में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। शनि की वक्री चाल, मंगल का राशि परिवर्तन और केतु का नक्षत्र गोचर व्यक्तिगत और वैश्विक स्तर पर अस्थिरता ला सकता है। सही ज्योतिषीय उपायों और सावधानी से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस दौरान धैर्य और आत्म-नियंत्रण पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

शनि का अस्त होना – 13 जुलाई 2025

क्या होता है शनि अस्त?

जब शनि सूर्य के अत्यधिक निकट आ जाता है, तो वह पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है इसे “शनि अस्त” कहते हैं। यह समय अधिकारियों, न्यायिक संस्थानों, सरकारों और कर्मफल से जुड़ी शक्तियों के कमजोर पड़ने का संकेत देता है। शनि अस्त के कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है जो की नीचे दिये गए है:

प्रभाव:

निर्णयों में अन्याय और भ्रम बढ़ सकता है.

न्याय प्रक्रिया धीमी या विकृत हो सकती है।

प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, अग्निकांड, सूखा।

सत्ता और नेतृत्व में अस्थिरता, सरकारें गिर सकती हैं।

आतंकवादी गतिविधियों का खतरा अधिक

मंगल का गोचर – 31 जुलाई 2025 (कन्या राशि में प्रवेश)

मंगल: युद्ध, ऊर्जा, अग्नि और बल का प्रतिनिधि

मंगल ग्रह जब कन्या राशि में प्रवेश करता है, तो वह विवेक और विश्लेषण की राशि में अपनी ऊर्जा को उग्र बना देता है। इसका प्रभाव विशेष रूप से स्वास्थ्य, रक्त, दुर्घटना और सैन्य तनाव में देखने को मिलता है। इन प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिषीय उपाय अपनाना महत्वपूर्ण माना जा सकता है।

प्रभाव:

सीमाओं पर तनाव, झड़प या सैन्य गतिविधियां

सड़क दुर्घटनाओं और अग्निकांड में वृद्धि

युवाओं में क्रोध और विद्रोह की भावना

आतंकवादी गुटों की सक्रियता संभव

राजनीतिक बयानबाज़ी में उग्रता।

केतु का नक्षत्र परिवर्तन

केतु: रहस्य, आत्मघाती प्रवृत्ति, भ्रम और कट्टरता का ग्रह

जब केतु विशाखा से अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो वह भावनात्मक और मानसिक स्तर पर असंतुलन पैदा करता है। यह काल मानसिक बीमारियों, आत्मघाती प्रवृत्तियों और अंध-आस्था या कट्टरता के उभार का समय माना जाता है। इसके कई दुष्प्रभाव देखे जा सकते है, यह प्रभाव निम्नलिखित है।

प्रभाव:

सामाजिक हिंसा और धार्मिक विवाद की संभावना

प्राकृतिक असंतुलन: जलवायु परिवर्तन, चक्रवात

मीडिया और सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर

लोगों की मानसिक स्थिरता कमजोर, निर्णयों में गलती।

इन परिवर्तनशील ग्रहों के लिए उपाय क्या करें?

शनि अस्त के उपाय:

शनिवार को काले तिल, कंबल, लोहे का दान करें।

शनि बीज मंत्र का जाप करें: “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”

हनुमान चालीसा पढ़ें विशेषकर मंगलवार और शनिवार के दिन।

मंगल गोचर के उपाय:

मंगलवार को लाल वस्त्र, मसूर दाल, तांबे का दान करें।

“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का नियमित रूप से जाप करें।

पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें।

केतु के उपाय:

शनिवार या मंगलवार को काले कुत्ते या ब्राह्मण को भोजन कराएं

नारियल, नीला कपड़ा, या तिल का दान करें

“ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का जाप करें।

ग्रह मौन हैं, पर संकेत देते हैं समझें और सावधान रहें।

13 जुलाई से 31 जुलाई 2025 का समय आंतरिक आत्म-निरीक्षण और बाहरी संयम का है। ग्रह कभी अचानक अशुभ नहीं होते, वे पहले चेतावनी देते हैं ताकि हम सतर्क रहें। यह समय केवल भय नहीं, बुद्धि, भक्ति और विवेक के प्रयोग का है।

जुलाई महीने में ग्रह और नक्षत्र परिवर्तन के बारे में ओर अधिक जानकारी के लिए आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें और ग्रह परिवर्तन के दुष्प्रभावो से बचे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *