मंगल प्रदोष व्रत: शिव कृपा और मंगल बल का विशेष संगम

2 दिसंबर का दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस दिन मंगलवार के प्रदोष काल में मंगल प्रदोष व्रत पड़ रहा है।
प्रदोष व्रत हर चंद्रपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है, और जब यह मंगलवार के दिन आता है, तो इसे मंगल प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का अत्यंत फलदायक अवसर होता है, साथ ही मंगल ग्रह की शांति और शौर्य, बल एवं सफलता प्राप्त करने का उत्तम समय भी होता है।

2 दिसंबर का मंगल प्रदोष व्रत शिव कृपा और मंगल ग्रह की ऊर्जा का अद्भुत संगम लेकर आएगा। जो भी व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से उपवास रखकर भगवान शिव का पूजन करेगा, उसके जीवन की बाधाएं दूर होंगी और सफलता के नए द्वार खुलेंगे।
उज्जैन जैसे ज्योतिर्लिंग स्थान पर इस दिन पूजा करने से फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत का अर्थ और महत्व क्या है?

‘प्रदोष’ शब्द का अर्थ है — संध्याकाल या सन्ध्याप्रदोष का समय, यानी सूर्यास्त के बाद का पवित्र समय जब शिव और पार्वती पृथ्वी पर विचरण करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस समय भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

मंगल प्रदोष व्रत का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

मंगल ग्रह को शक्ति, साहस, भूमि, पराक्रम और जीवन की ऊर्जा का ग्रह माना गया है। जब प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन आता है, तब यह मंगल ग्रह की अशुभता को शांत करता है और मंगल दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होता है। इस दिन व्रत रखने से विवाह में विलंब, वैवाहिक तनाव, भूमि-संबंधी विवाद और शत्रु बाधाएं समाप्त होती हैं।

2 दिसंबर 2025 को सूर्यास्त के समय स्थिर वृषभ लग्न (7:00 PM से 7:30 PM) के दौरान प्रदोष काल रहेगा जो पूजा के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है। स्थिर लग्न में पूजा करने से फल दीर्घकाल तक स्थिर रहता है और इच्छाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

मंगल प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है?

1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और दिनभर व्रत रखें।

2. संध्या के समय भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग का पूजन करें।

3. शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।

4. बेलपत्र, धतूरा, भस्म, चंदन और अक्षत अर्पित करें।

5. दीपक में सरसों का तेल जलाएं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।

6. विशेष रूप से “मंगल प्रदोष स्तोत्र” या “शिव चालीसा” का पाठ करें।

मंगल प्रदोष व्रत के लाभ कौन-कौन से है?

मंगल दोष और वैवाहिक समस्याओं का शमन होता है।

1. शत्रु बाधा और ऋण मुक्ति के योग बनते हैं।

2. मान-सम्मान और पदोन्नति के अवसर बढ़ते हैं।

3. शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि होती है।

4. भूमि, भवन और संपत्ति से संबंधित अड़चनें दूर होती हैं।

5. अविवाहित जातकों को शीघ्र विवाह के योग प्राप्त होते हैं।

मंगल प्रदोश के दिन क्या करें और क्या न करें

करें:

लाल या भगवा वस्त्र धारण करें।

मंदिर में जाकर शिवलिंग पर लाल पुष्प अर्पित करें।

गरीबों को भोजन, लाल वस्त्र या मसूर दाल का दान करें।

हनुमान जी की पूजा भी करें क्योंकि मंगल ग्रह उनका अधिपति ग्रह है।

न करें:

झूठ बोलना, वाद-विवाद या किसी से क्रोध करना।

नमक का सेवन या तामसिक भोजन।

शराब या मांसाहार का प्रयोग।

मंगल प्रदोष हमें यह सिखाता है कि धैर्य और संयम के साथ कर्म करते हुए शिव की शरण में जाने से हर कठिनाई दूर होती है। यह दिन न केवल ग्रह दोषों को शांत करता है बल्कि हमारे भीतर की ऊर्जा, आत्मविश्वास और साहस को भी जागृत करता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें

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