शनि अमावस्या: शनि पूजा और श्रापित दोष शांति का उपाय

20 दिसंबर 2025, शनिवार को एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग बन रहा है, इस दिन अमावस्या तिथि और शनिवार का संयोग है, जिसे शनि अमावस्या (Shani Amavasya) कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह तिथि शनि ग्रह की पीड़ा, साढ़ेसाती, ढैया और श्रापित दोष को शांत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

शनि अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और जीवन परिवर्तन का अवसर है। इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने से व्यक्ति के पुराने पाप, बुरे कर्म और ग्रहबाधाएँ समाप्त हो सकती हैं। श्रद्धा, संयम और सही विधि से पूजा करने वाला व्यक्ति शनिदेव की कृपा से दीर्घायु, स्थिरता, समृद्धि और न्यायपूर्ण जीवन प्राप्त करता है।

शनि अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

शनि अमावस्या वह तिथि है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आते हैं, और उसी दिन शनिदेव का प्रभाव चरम पर होता है। शनि ग्रह कर्म, अनुशासन, न्याय और दंड के स्वामी हैं। वे व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का सटीक हिसाब रखते हैं। जब व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होते हैं तो उसे निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

बार-बार असफलता, व्यापार या नौकरी में रुकावट, मानसिक तनाव और डर, शत्रु या विरोधियों से परेशानी, अचानक धन हानि, पारिवारिक कलह या अवसाद।

शनि अमावस्या का दिन इन सभी दोषों से मुक्ति का अवसर देता है। अगर सही विधि से पूजा की जाए, तो साढ़ेसाती, ढैया, शनि पीड़ा और श्रापित दोष भी शांत हो सकते हैं।

20 दिसंबर 2025 शनि अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार दोपहर 02:55 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त: 20 दिसंबर 2025, शनिवार दोपहर 04:10 बजे

शनि अमावस्या पूजन काल: प्रातः 06:30 बजे से 12:00 बजे तक

सर्वोत्तम समय: सूर्य उदय से पूर्व और सूर्यास्त के बाद पीपल या शनि मंदिर में दीपदान करें

इस बार शनि ग्रह कुंभ राशि (अपने स्वगृह) में स्थित रहेंगे, जिससे इस दिन पूजा करने वालों को विशेष पुण्य और स्थिरता प्राप्त होगी।

शनि अमावस्या पर विशेष योग क्या है?

20 दिसंबर 2025 को शनि अमावस्या के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है यह योग “सर्वसिद्धि योग” कहलाता है। इस दिन किए गए सभी कर्म, दान, जप, और तंत्र साधन तुरंत फल देने वाले होते हैं।

ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि यह दिन उन लोगों के लिए अमूल्य है जिनकी कुंडली में:

  • शनि दशा या अंतर्दशा चल रही है
  • साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव है
  • श्रापित दोष (Shrapit Dosh) बना हुआ है
  • पितृ दोष या कालसर्प दोष की समस्या है

श्रापित दोष क्या होता है?

श्रापित दोष (Shrapit Dosh) तब बनता है जब व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि और राहु का योग होता है।
यह योग व्यक्ति को अपने कर्मों के परिणामस्वरूप मिलने वाले कठिन जीवन अनुभवों से गुजराता है।

इस दोष के प्रभाव से:

हर प्रयास में बाधा आती है

रिश्तों में मतभेद बढ़ते हैं

आर्थिक स्थिति अस्थिर रहती है

मानसिक और आध्यात्मिक तनाव बढ़ता है।

शनि अमावस्या का दिन इस श्रापित दोष की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन शनि पूजा, दान, और जप से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है।

शनि अमावस्या पूजा विधि (Shani Puja Vidhi) क्या है?

प्रातःकाल स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
सूर्य उदय से पहले स्नान करके काले या नीले वस्त्र पहनें।

पीपल वृक्ष या शनि मंदिर जाएं।
शनिदेव की प्रतिमा या शनि यंत्र के सामने बैठें।

पूजा सामग्री:

काले तिल

सरसों का तेल

काला वस्त्र

नीले फूल

लोहे की कील

दीपक और अगरबत्ती

दीपदान करें:
सरसों के तेल का दीपक पीपल वृक्ष के नीचे जलाएं और 7 बार उसकी परिक्रमा करें।

मंत्र जप करें:

“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

शनि स्तोत्र या शनि चालीसा पाठ:
शनि चालीसा का पाठ करें और अपनी समस्याओं के समाधान की प्रार्थना करें।

दान करें:
काला वस्त्र, तिल, तेल, और लोहा गरीबों या ब्राह्मणों को दान करें।

शनि अमावस्या पर किए जाने वाले विशेष उपाय

(1) शनि दोष शांति हेतु:
– शनिवार को शाम के समय पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और “ॐ ह्रीं शनैश्चराय नमः” जपें।

(2) श्रापित दोष मुक्ति हेतु:
– शनि मंदिर में जाकर सरसों का तेल और लोहे की कील अर्पित करें।
– काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।

(3) साढ़ेसाती निवारण:
– “हनुमान चालीसा” का पाठ करें और शनिदेव से प्रार्थना करें कि वे कृपा करें।

(4) व्यवसायिक हानि से मुक्ति:
– शनिवार की रात घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

(5) मानसिक शांति हेतु:
– शनि मंत्र का जप करते हुए ध्यान लगाएं और अपने पूर्व कर्मों की क्षमा याचना करें।

शनि अमावस्या के दिन किए जाने वाले दान का महत्व

शनि अमावस्या पर किया गया दान कई गुना फल देता है। दान से शनि ग्रह प्रसन्न होते हैं और नकारात्मक कर्मों का प्रभाव घटता है।
दान करने योग्य वस्तुएँ —

काले तिल, लोहा, काला वस्त्र, तेल, जूते-चप्पल, काले उड़द की दाल, अनाज या भोजन, दान का नियम यह है कि उसे बिना अभिमान और बिना दिखावे के किया जाए।

क्यों कहा गया है शनि अमावस्या सबसे शक्तिशाली तिथि

इस दिन सूर्य, चंद्रमा और शनि का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति के कर्मों को सीधा प्रभावित करता है।

यह तिथि नकारात्मक ऊर्जा के निवारण, कर्मशुद्धि, और ग्रह शांति के लिए सर्वोत्तम होती है।

जो व्यक्ति नियमित रूप से इस दिन पूजा करता है, उसे आने वाले समय में जीवन के संघर्षों से मुक्ति मिलती है।

उज्जैन में शनि पूजा का विशेष महत्व क्या है?

उज्जैन भारत का वह पवित्र स्थान है जहाँ कालभैरव, महाकाल और शनिदेव तीनों की विशेष कृपा मानी जाती है।
यहाँ शनि अमावस्या के दिन शनि पूजन, तैलाभिषेक और दान करने से

श्रापित दोष,

पितृ दोष,

और कालसर्प दोष
तीनों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

उज्जैन के सिद्ध ज्योतिषाचार्य और पंडितगण इस दिन विशेष शनि शांति अनुष्ठान करते हैं।
अगर कोई व्यक्ति अपनी कुंडली में ग्रह पीड़ा से परेशान है, तो उसे इस दिन शनि पूजा या श्रापित दोष शांति अनुष्ठान अवश्य कराना चाहिए।

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