माँ बगलामुखी पूजा: विधि, महत्व और पूजा की पूरी जानकारी

माँ बगलामुखी, दस महाविद्याओं में से एक, शक्ति की साक्षात् स्वरूपा हैं, जिन्हें स्तंभन शक्ति की देवी के रूप में जाना जाता है। माँ बगलामुखी की पूजा शत्रु नाश, मुकदमों में विजय, और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए की जाती है। उनकी कृपा से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

माँ बगलामुखी का महत्व क्या है?

माँ बगलामुखी को “पीताम्बरा माता” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वे पीले रंग से संबंधित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ बगलामुखी ने राक्षस मधुदानव का वध कर ब्रह्मांड को बचाया था। उनकी पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो:

शत्रु बाधा से पीड़ित हैं।

मुकदमों या कानूनी विवादों में फंसे हैं।

नकारात्मक ऊर्जा या जादू-टोना से प्रभावित हैं।

आत्मविश्वास और मानसिक शांति चाहते हैं।

माँ बगलामुखी की पूजा नवरात्रि, गुरु पुष्य योग, और मंगलवार या बुधवार को विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। 2025 में, शारदीय नवरात्रि (23 सितंबर से 1 अक्टूबर) और गुरु पुष्य योग (24 जुलाई, 21 अगस्त, 18 सितंबर) माँ बगलामुखी की पूजा के लिए शुभ अवसर होंगे।

माँ बगलामुखी पूजा का ज्योतिषीय महत्व जानिए?

ज्योतिष में, माँ बगलामुखी का संबंध राहु और मंगल ग्रहों से है। उनकी पूजा से:

राहु दोष और मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।

कुंडली में शत्रु बाधा और नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव शांत होता है।

वाणी और बुद्धि में वृद्धि होती है, जो वकीलों, व्यापारियों, और विद्यार्थियों के लिए लाभकारी है।

नकारात्मक ऊर्जा और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से रक्षा होती है।

माँ बगलामुखी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2025 क्या है?

माँ बगलामुखी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन महत्वपूर्ण है। 2025 में निम्नलिखित तिथियां और समय विशेष रूप से शुभ हैं:

शारदीय नवरात्रि 2025: 23 सितंबर से 1 अक्टूबर (विशेष रूप से अष्टमी, 30 सितंबर)

गुरु पुष्य योग:

24 जुलाई 2025: सुबह 04:43 बजे से 25 जुलाई, सुबह 06:13 बजे

21 अगस्त 2025: सुबह 12:27 बजे से 22 अगस्त, सुबह 12:08 बजे

18 सितंबर 2025: शाम 06:15 बजे से 19 सितंबर, शाम 07:45 बजे

मंगलवार और बुधवार: मंगल और बुध ग्रहों से संबंधित होने के कारण ये दिन विशेष रूप से शुभ हैं।

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:19 बजे से 01:11 बजे (स्थानीय पंचांग के अनुसार)।

वर्जित समय (राहु काल): उदाहरण के लिए, 23 सितंबर 2025 को दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक पूजा से बचें।

नोट: स्थानीय पंचांग के अनुसार मुहूर्त की पुष्टि करें।

माँ बगलामुखी पूजा विधि क्या है?

माँ बगलामुखी की पूजा को विधि-विधान के साथ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नीचे पूजा की सरल और प्रामाणिक विधि दी गई है, जिसे घर पर किया जा सकता है:

पूजा विधि

संकल्प:

सुबह या रात के शुभ मुहूर्त में स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें।

हाथ में गंगाजल, अक्षत, और पीले फूल लेकर संकल्प करें: “मैं माँ बगलामुखी की पूजा अपनी मनोकामना (शत्रु नाश, मुकदमा विजय, आदि) के लिए कर रहा/रही हूँ।”

गणेश पूजा:

किसी भी पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें पीले फूल और मोदक अर्पित करें।

मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” (21 बार)।

माँ बगलामुखी का आवाहन:

माँ बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर को पीले कपड़े पर स्थापित करें।

मंत्र: “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिम् विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” (21 बार)।

अभिषेक:

माँ की मूर्ति को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।

हल्दी और पीले फूलों से श्रृंगार करें।

पूजा:

माँ को पीली माला, हल्दी, और चंदन अर्पित करें।

धूप, दीप, और कपूर से आरती करें।

प्रसाद (बेसन के लड्डू या पीली मिठाई) अर्पित करें।

मंत्र जाप:

बगलामुखी बीज मंत्र: “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिम् विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” (108 या 1008 बार, हल्दी की माला से)।

गायत्री मंत्र: “ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्” (108 बार)।

हवन:

पूजा के अंत में हवन करें। हल्दी, पीले फूल, और घी से “ॐ ह्लीं बगलामुखी” मंत्र के साथ आहुति दें।

प्रसाद वितरण:

प्रसाद को परिवार और जरूरतमंदों में बांटें।

माँ बगलामुखी पूजा की सावधानियां

शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

राहु काल: राहु काल में पूजा या मंत्र जाप से बचें (उदाहरण: 23 सितंबर 2025 को दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक)।

सात्विकता: तामसिक भोजन (मांस, लहसुन, प्याज) से बचें।

संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले अपनी मनोकामना का संकल्प लें।

ज्योतिषीय सलाह: गंभीर शत्रु बाधा या मुकदमों के लिए योग्य ज्योतिषी या तांत्रिक की सलाह लें।

माँ बगलामुखी पूजा के विशेष अवसर 2025

शारदीय नवरात्रि (23 सितंबर – 1 अक्टूबर 2025): अष्टमी (30 सितंबर) को माँ बगलामुखी की पूजा विशेष फलदायी होगी।

गुरु पुष्य योग: 24 जुलाई, 21 अगस्त, और 18 सितंबर 2025 को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त।

मंगलवार और बुधवार: मंगल और बुध ग्रहों से संबंधित होने के कारण ये दिन विशेष रूप से उपयुक्त हैं।

बसंत पंचमी (29 जनवरी 2025): बुद्धि और वाणी के लिए माँ बगलामुखी की पूजा करें।

माँ बगलामुखी की पूजा 2025 में शत्रु नाश, मुकदमों में विजय, और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए एक शक्तिशाली साधन है। उपरोक्त पूजा विधि और 21 उपाय, जैसे हल्दी की माला जाप, बगलामुखी यंत्र स्थापना, और पीले चावल दान, आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि ला सकते हैं। शुभ मुहूर्त में पूजा करें, शुद्धता बनाए रखें, और माँ की भक्ति में लीन हो जाएं।

माँ बगलामुखी की कृपा से आपकी सभी बाधाएं दूर हों और जीवन में विजय प्राप्त हो। क्या आप माँ बगलामुखी की पूजा की योजना बना रहे हैं? तो आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से नीचे दिये गए नंबर पर सम्पर्क करें और पूजा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।

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