उज्जैन और नासिक, दोनों ही भारत के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। ये दोनों शहर अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मान्यताओ के लिए प्रसिद्ध हैं। उज्जैन, मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित, और नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित, दोनों ही 12 वर्ष में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए विश्वविख्यात हैं। दोनों शहरों में प्राचीन मंदिर, पवित्र घाट, और आध्यात्मिक ऊर्जा है, फिर भी उज्जैन का विशेष स्थान है।
उज्जैन और नासिक तीर्थ स्थल-क्यों उज्जैन को दोष निवारण के लिए अधिक प्रभावशाली माना जाता है?
भारतवर्ष के प्राचीन तीर्थ स्थलों में उज्जैन और नासिक दोनों का अद्वितीय स्थान है। दोनों ही नगर ज्योतिर्लिंग, कुंभ मेले, और वैदिक पूजा-पाठ के लिए प्रसिद्ध हैं। परंतु जब बात आती है, मंगल दोष, नवग्रह दोष, या महामृत्युंजय जाप जैसी विशिष्ट दोष निवारण पूजा की तो उज्जैन को अधिक फलदायक और प्रभावी स्थल माना जाता है। जबकि कालसर्प दोष निवारण के लिये नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्रसिद्ध है।
नासिक में त्र्यंबकेश्वर मंदिर कालसर्प दोष पूजा का केंद्र है। जहाँ पूजा की लागत: ₹2,100–₹5,000। उज्जैन और नासिक दोनों ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं, लेकिन उज्जैन अपनी सप्तपुरी स्थिति, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, दो शक्तिपीठ, और ज्योतिषीय केंद्र के रूप में नासिक से आगे है। इसका सिंहस्थ कुंभ मेला, सांदीपनि आश्रम, और स्मार्ट सिटी सुविधाएं इसे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए अधिक आकर्षक बनाती हैं।
उज्जैन: कालों की नगरी और महाकाल की शक्ति का केंद्र
उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर, मंगल दोष निवारण पूजा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। उज्जैन एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ मंगलदेव की पूजा और मंगल दोष निवारण के लिये विशेष मंदिर है। मंगलनाथ मंदिर को मंगल ग्रह का जन्मस्थल माना जाता है। यहाँ दूर-दूर से लोग पूजा कराने आते है, और दोष से छुटकारा पाते है।
दोनों नगर कुंभ मेले के चार पवित्र स्थलों में शामिल हैं, जहाँ समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदें गिरी थीं। उज्जैन को ‘कालों का नगर’ कहा जाता है क्योंकि यह भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भूमि है। यहाँ पर भगवान महाकाल दिशाओं और समय पर राज करते हैं, इसीलिए उन्हें उज्जैन का राजा भी कहा जाता है।
काल, मृत्यु, दोष और ग्रह बाधाओं से मुक्ति के लिए उज्जैन ही सर्वोच्च स्थान है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ही एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं।
नासिक: गोदावरी के किनारे धार्मिक महत्व का स्थल
नासिक में भी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है और यह गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली, पितृ दोष, और केतु शांति की विशेष पूजा की जाती है। नासिक धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है, लेकिन काल और ग्रह दोष निवारण के लिए उज्जैन की तुलना में कम प्रभावशाली माना जाता है।
उज्जैन में दोष निवारण पूजा अधिक प्रभावशाली क्यों होती है?
यह शहर भगवान महाकालेश्वर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, का निवास है, जिन्हें कालचक्र के प्रवर्तक और काल के स्वामी माना जाता है। उज्जैन में भगवान राम द्वारा अपने पिता का अंतिम संस्कार रामघाट पर किया गया, जो इसकी पवित्रता को और बढ़ाता है। पुराणों में उज्जैन को सप्तपुरियों (अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, द्वारका, उज्जैन) में सबसे श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह मोक्षदायिनी मानी जाती है।
काल तत्त्व की शुद्धि: महाकाल के प्रभाव से कालसर्प, अंगारक, केतु-राहु दोष तुरंत शांत होते हैं।
तांत्रिक और वैदिक दोनों पद्धति: उज्जैन में दोनों पद्धतियों से पूजा संभव है।
विशेष मंदिरों की उपस्थिति:
मंगलनाथ मंदिर (मंगल दोष निवारण)
काल भैरव मंदिर (तांत्रिक पूजा)
हरसिद्धि माता मंदिर (दुर्गा उपासना)
पंडितों की विशेषता: जैसे पं. विजय जोशी जी जैसे अनुभवी और सिद्ध पुरोहित उज्जैन में उपलब्ध हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से उज्जैन क्यों सर्वोपरि है?
उज्जैन को प्राचीन काल में ‘भारत का समय केंद्र’ (Prime Meridian) माना जाता था। यहाँ से भारतीय पंचांग, ग्रह नक्षत्र और समय की गणना होती थी। गरुड़ पुराण के अनुसार, “अयोध्या मथुरा माया, काशी कांची अवंतिका, पुरी द्वारावती चैव सप्तैता: मोक्षदायिका:” अर्थात उज्जैन मोक्ष प्रदान करने में अग्रणी है।
मंगलनाथ मंदिर को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना गया है, जिससे मंगल दोष निवारण पूजा विशेष फल देती है।
अगर दोष निवारण का सटीक और स्थायी समाधान चाहिए — तो उज्जैन ही सर्वोत्तम है!
नासिक की अपनी धार्मिक गरिमा है, लेकिन जब बात आती है ज्योतिषीय दोष, तांत्रिक बाधाएं, और तेज ग्रहों की शांति की, तब उज्जैन ही सर्वोच्च और सिद्ध भूमि के रूप में याद आता है। उज्जैन के अनुभवी पंडितो द्वारा दोष का निवारण पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। उज्जैन में की गई पूजा से दोष से शांति मिलती है, और व्यक्ति की सभी समस्याओ का समाधान होता है।
सांस्कृतिक और शैक्षिक इतिहास का महत्व
उज्जैन: कालिदास और सांदीपनि की नगरी
उज्जैन कवि कालिदास और सांदीपनि आश्रम के लिए प्रसिद्ध है, जहां भगवान कृष्ण ने 64 दिन में 14 विद्याएं और 64 कलाएं सीखीं। विक्रम विश्वविद्यालय और जंतर मंतर (वेधशाला) उज्जैन की शैक्षिक और वैज्ञानिक विरासत को दर्शाते हैं।
नासिक: सांस्कृतिक केंद्र
नासिक की सांस्कृतिक विरासत रामायण और स्थानीय मराठी परंपराओं से जुड़ी है। यह वाइनरी और मसालेदार नमकीन जैसे ‘मिसाल पाव’ के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, इसका शैक्षिक इतिहास उज्जैन जितना प्राचीन नहीं है।
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