18 जून 2025 कालाष्टमी: बुधवार के दिन भैरव दर्शन का पुण्यफल

18 जून 2025 को आने वाली कालाष्टमी, सप्ताह के बुधवार को पड़ रही है, जो कि भगवान कालभैरव के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी संयोग है। कालाष्टमी तिथि प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है, लेकिन जब यह दिन बुधवार के साथ संयोग में आता है, तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

कालाष्टमी का महत्व: क्यों भगवान भैरव की आराधना से दूर होती हैं जीवन की बाधाएँ?

कालभैरव को शिव का रुद्र रूप माना गया है, जो समय, मृत्यु और बुराई पर नियंत्रण रखते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त कालाष्टमी के दिन सच्चे मन से भैरव जी की पूजा करता है, उसके जीवन से रोग, भय, कर्ज और शत्रु बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।

विशेष रूप से बुधवार को पड़ने वाली कालाष्टमी पर भैरव बाबा का दर्शन करने से बुद्धि, व्यापार और जीवन में स्थिरता का वरदान मिलता है।

18 जून 2025 कालाष्टमी पर कालभैरव दर्शन क्यों है जरूरी?

बुधवार और कालाष्टमी का दुर्लभ संयोग केवल एक विशेष अवसर है, जब भक्तजन भैरव बाबा की कृपा से अपने जीवन के सभी संकटों को शांत कर सकते हैं। इस दिन यदि आप श्रद्धा और नियमपूर्वक उपवास, पूजन और दर्शन करते हैं, तो कालभैरव की शक्ति आपके जीवन को हर तरह से सुरक्षित और सफल बनाती है।

कालाष्टमी पूजन विधि: जानिए कैसे करें कालभैरव की पूजा और आराधना

✅ पूजन सामग्री:

सरसों का तेल

काले तिल

काला कपड़ा

लोभान, धूप, दीपक

नींबू, नारियल, लड्डू

कुत्तों के लिए बिस्किट/ब्रेड

पूजा विधि:

प्रातः स्नान कर साफ स्थान पर भैरव जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाकर भैरव जी की आरती करें।

भैरव अष्टक, कालभैरव स्तोत्र का पाठ करें।

काले कुत्ते को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

रात्रि में मंदिर जाकर भैरव बाबा का दर्शन करें और प्रसाद चढ़ाएँ।

कालाष्टमी 2025 तिथि और समय: जानिए पूजा का सही मुहूर्त

🔸 तिथि: बुधवार, 18 जून 2025

🔸 अष्टमी तिथि प्रारंभ: 18 जून 2025 को सुबह 04:12 बजे

🔸 अष्टमी तिथि समाप्त: 19 जून 2025 को सुबह 03:45 बजे

🔸 भैरव पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय: संध्या और रात्रि काल

कालभैरव की आराधना विशेष रूप से रात्रि के समय ही की जाती है, इसलिए 18 जून की रात में भैरव पूजन अत्यंत शुभ और फलदायी रहेगा।

कालभैरव मंदिर दर्शन: उज्जैन, वाराणसी और अन्य प्रमुख तीर्थस्थल

उज्जैन – काल भैरव मंदिर

महाकाल की नगरी में स्थित यह मंदिर शिव भक्तों के लिए अति पूजनीय है।

यहाँ भैरव जी को मदिरा चढ़ाने की परंपरा है।

वाराणसी – काल भैरव मंदिर

वाराणसी में “कोतवाल भैरव” के नाम से विख्यात, यह मंदिर कृपा और सुरक्षा देने वाला है।

त्र्यंबकेश्वर, नासिक, अलवर, दिल्ली आदि में भी प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर स्थित हैं।

कालभैरव स्तोत्र और मंत्र: संकटों से मुक्ति दिलाने वाले प्रभावशाली मन्त्र

“ॐ कालभैरवाय नमः”

इस मंत्र का 108 बार जाप करने से मानसिक शांति मिलती है।

“कालभैरव अष्टक”

इस स्तोत्र का रात्रि में पाठ करने से दुर्भाग्य, रोग और भय से रक्षा होती है।

बुधवार को पड़ने वाली कालाष्टमी के लाभ: ग्रह दोषों, शनि पीड़ा और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति

बुध ग्रह की अशुभता कम होती है

शनि, राहु, केतु की बाधाएँ शांत होती हैं

कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय मिलती है

कर्ज और भय से राहत मिलती है

व्यापार में लाभ और करियर में वृद्धि होती है

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